कहीं भी नहीं हो रही देवप्रयाग की सुनवाई
संस्थागत सजा मानकर शांत हो गए समझदार लोग
तीर्थ चेतना न्यूज
देवप्रयाग। बाह बाजार झूला पुल के मामले में देवप्रयाग के लोगों की कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है। अब लोगों ने इसे संस्थागत सजा मानकर चुप रहने की समझदारी दिखाई है।
वर्षों पूर्व जर्जर हो चुके बाह बाजार झूला पुल को नए सिरे से बनाने या मरम्मत करने के बजाए सरकार ने दीवार लगाकर इसे बंद कर दिया। गरज ये दिखाने की कि वो लोगों की सुरक्षा के लिए कितनी गंभीर है। जिम्मेदार लोग गुजरात के मोरवी का उदाहरण भी दे रहे हैं।
प्रशासन के स्तर से आ रहे इन तर्कों से पहले ये नहीं बताया जा रहा है कि वर्षों से जर्जर झूला पुल को समय रहते नए सिरे से क्यों नहीं बनाया गया। क्यों मरम्मत नहीं की गई। जबकि लोकल बॉडी गवर्नमेंट लगातार इस बारे में प्रशासन और शासन को चिटठी लिख रही थी।
चुनाव के समय भी इसको लेकर बड़े-बड़े वादे हुए। इन वादों पर वोट भी मिला। मगर, पुल नया बनाने, मरम्मत करने के बजाए इसे दीवार लगाकर बंद करने का इनाम लोगों को दिया गया। सत्ता का ये रूप देखकर लोग हैरान और परेशान भी दिख रहे हैं।
पुल पर दीवार लगते ही एक अखबार में छप गया कि नया पुल स्वीकृत हो गया। अब इसकी कतरन वायरल हो रही है। सवाल उठ रहा है कि ये कैसा सिस्टम है कि जिस दिन पुल पर दीवार लगती है उसी दिन नया पुल भी स्वीकृत हो जाता है।
स्वीकृति के कम से कम दो साल बाद काम शुरू होता है। समझ लीजिए कब काम शुरू कराया जा सकता है। 2024 या 2027 में। बहरहाल, देवप्रयाग में इसे संस्थागत सजा माना जा रहा है। यही वजह है कि लोग भी अब इस पर शांत रहने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।