देहरादून। राज्य कैबिनेट में खाली पड़ी तीन कुर्सियों पर विधायकों की ताजपोशी की चर्चाएं एक बार फिर जोरों पर हैं। चर्चाओं में नाम भी उड़ने लगे हैं। खास बात ये है कि जनता में कोई उत्साह दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है।
उत्तराखंड गजब का राज्य है। यहां साढ़े तीन साल से कैबिनेट के दो पद खाली चल रहे हैं। तीसरा पद एक साल से अधिक समय से रिक्त है। इसे प्रचंड बहुमत का साइड इफेक्ट बताया जा रहा है। हां, इसका खामियाजा राज्य का जरूर भुगतना पड़ रहा है।
कई बार कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं उड़ी। मगर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खाली पड़े पद नहीं भरे। उनके दिल्ली दौरों को हाईकमान से अनुमति लेने से जोड़ा गया। अभी हुआ, तभी हुआ, उसके नाम पर हरी झंडी जैसी बातें भी सामने आई। मगर, कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ।
प्रदेश अध्यक्ष बनते ही बंशीधर भगत ने कैबिनेट के खाली पदों को भरने की जोरदार पैरवी की। समझा गया कि अब तो जल्द भरे जाएंगे। मगर, ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष भगत जोर लगा रहे हैं।
इसके साथ ही चर्चा भी शुरू हो गई हैं। कुछ नाम भी चर्चा में उड़ने लगे हैं। कुछ के समर्थक उड़ा भी रहे हैं। कोरोना ने दौड़ पर ब्रेक लगा दिए हैं, नहीं तो दिल्ली दौड़ भी शुरू होती। खास बात ये है कि पहली बार कैबिनेट विस्तार को लेकर जनता में कोई उत्साह दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है। वजह अब 2022 भी ज्यादा दूर नहीं है। इस बात को भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता भी स्वीकारते हैं कि कैबिनेट विस्तार में बहुत विलंब हुआ है।
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