पौड़ी। सरकारी स्कूल प्रशासन की लापरवाही और स्वविवेक से काम न लेने की वजह से स्कूलों में कोरोना संक्रमण का जोखिम बढ़ गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि दो नवंबर को स्कूल खुलने से पहले शिक्षा विभाग ने शिक्षकों का कोविड-19 का टेस्ट करवाया। शिक्षकों ने इसमें हर स्तर पर सहयोग किया। शिक्षा विभाग के इस निर्णय की सराहना होनी चाहिए। मगर, इससे आगे विभागीय स्तर पर गंभीर चूक की गई।
कोरोना टेस्ट के बाद रिपोर्ट का इंतजार किए बगैर ही शिक्षकों को स्कूल बुला दिया गया। कुछ शिक्षकों ने इस पर सवाल भी खड़े किए। मगर, अधिकांश प्रिंसिपलां ने शिक्षकों को स्कूल पहुंचने का फरमान जारी कर दिया। परिणाम शिक्षक स्कूल पहुंचे और एक-दूसरे और छात्रों के संपर्क में आऐ।
कहा जा सकता है कि स्कूल प्रशासन के स्तर से चूक हुई है। दरअसल, ये लापरवाही के साथ ही स्कूल प्रशासन के स्वविवेक से निर्णय न लेने की वजह से हुआ। अकेले पौड़ी जिले में करीब 80 शिक्षकों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। और जिलों से भी इस प्रकार की सूचनाएं मिल रही हैं।
अब विभाग ऐसे स्कूलों को पांच-पांच दिन के लिए बंद कर रहा है। ऐसी स्थिति बचा जा सकता था। इस चूक से अब स्वास्थ्य विभाग का ट्रेसिंग का काम बढ़ जाएगा। यही नहीं शिक्षकों के कोरोना पॉजिटिव आने से क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। ग्रामीणों में दहशत साफ देखी जा रही है।