देहरादून। उत्तराखंड में स्कूलों से कोरोना का जोखिम बढ़ रहा है। इसकी वजह कुछ स्कूल प्रिंसिपलां का विवेक से काम न लेना है। कोरोना टेस्ट कराने वाले शिक्षकों को रिपोर्ट आए बगैर स्कूल बुलाया जा रहा है।
कोरोना की अभी तक कोई दवा नहीं है। इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, स्वच्छता ही उपाय है। इसके बावजूद कोरोना कोई लक्षण दिखने पर टेस्टिंग, आइसोलेशन बेस्ट स्ट्रेटजी है। सरकार इस पर ही काम कर रही है।
शासन और शिक्षा विभाग ने ये बात स्कूलों को एक नहीं कई बार समझाई है। बावजूद इसके लिए स्कूलों के स्तर से अपराधिक लापरवाही सामने आ रही है। कोरोना का टेस्ट कराने वाले शिक्षकों रिपोर्ट आने से पहले स्कूल बुलाया जा रहा है।
राज्य में कोरोना पॉजिटिव आए शिक्षकों के अधिकांश मामलों में ये देखा गया। इसमें कुछ प्रिंसिपलों का रवैया बेहद गैरजिम्मेदारना देखा गया है। कुछ प्रिंसिपलों ने विवेक से काम न लेकर स्कूलों में कोरोना जोखिम बढ़ा दी है।
हैरानगी की बात ये है कि शिक्षा विभाग के आलाधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। शासन द्वारा इसका संज्ञान न लेने से रही सही कसर पूरी हो रही है। सोशल मीडिया में लोग इस पर सावाल भी खड़े कर रहे हैं।