प्रदेश में स्कूली शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए शि़क्षा मंत्री अरविंद पांडे ने हुंकार भरी है। पूर्व के शिक्षा मंत्रियों की सुधार हेतु भरी गई हुंकार खास असर नहीं दिखा सकीं थी।
प्रदेश में सरकार द्वारा संचालित शिक्षा व्यवस्था विभिन्न वजहों से पटरी से उतर गई है। फिलहाल शिक्षा विभाग अव्यवस्थाओं का मकड़जाल बना हुआ हैं। इसमें सबसे बड़ी वजह शिक्षा से पॉलीटिकल माइलेज लेने की सरकारों की मंशा है। निःशुल्क शिक्षा ने सरकारी स्कूलों को संदेह के घेरे में ला खड़ा कर दिया है।
मुफ्त की शिक्षा, उपर से मिड-डे-मील, कपड़े लत्ते और किताबें सब कुछ फ्री में होने से समाज के अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति भी सरकारी स्कूलों को हेय दृष्टि से देख रहा है। इस पर गौर किए बगैर शायद ही सरकारी स्कूलों की दशा सुधरे।
हालांकि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की हुंकार भरी है। प्रचंड बहुमत वाली सरकार में व्यवस्था सुधारने की उम्मीदें भी हैं। उन्होंने पब्लिक स्कूलों पर भी शिकंजा कसने का प्रण कर लिया है। फीस को लेकर सरकार जल्द ही कानून भी बना सकती है।
हालांकि पूर्व में हुई ऐसी कवायदें पब्लिक स्कूलों के सामने औंधे मुंह गिरती रही हैं। अभी तक की सरकारें शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों के तबादले, स्कूलों के कोटिकरण से आगे नहीं बढ़ सकीं। अब देखना होगा कि नए शिक्षा मंत्री की सुधार को भरी गई हुंकार का कितना असर होता है।