बदरीनाथ। ज्योतिष्पीठ पर शंकराचार्य का पद रिक्त है। पीठ के शंकराचार्य पद पर वासुदेवानंद, स्वरूपानंद और माधवाश्रम का दावा है। तीनों स्वयं को ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य बताते हैं।
जी हां, 64 सालों से इलाहबाद हाईकोर्ट में चल रहे इस विवाद को शुक्रवार को पटाक्षेप हो गया। कोर्ट ने ज्योतिष्पीठ पर शंकराचार्य के पद को रिक्त घोषित किया है। इस पद पर स्वरूपानंद की नियुक्ति को कोर्ट ने अवैध करार दिया। जबकि वासुदेवानंद को अयोग्य करार दिया।
कोर्ट ने अखिल भारतीय धर्म महासंघ और काशी विद्धत परिषद को पीठ पर शंकराचार्य की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं। आदेश दिए हैं कि नियुक्ति में वही प्रक्रिया अपनाई जाए जो 1941 में अपनाई गई थी।
खास बात ये है कि ज्योतिष्पीठ पर तीसरे शंकराचार्य माधवाश्रम को लेकर कोर्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की। माधवाश्रम भी इस पीठ के शंकराचार्य का दावा करते हैं।