ऋषिकेश। 2013 की आपदा का दंश झेलने वाले दो युवाओं द्वारा प्रस्तुत पहाड़ी हाऊस कंसेप्ट पर्यटकों को खूब भा रहा है। दुनियां जहां से पर्यटक इसका दीदार करने पहुंच रहे हैं।
2013 की आपदा में घटटूगाड़ में बड़ा नुकसान झेलने वाले दो युवाओं ने गांवों का रूख किया। युवा हैं, अभय शर्मा और यश भंडारी। दोनां ने टिहरी जिले के काणाताल में एक जर्जर हो चुके पहाड़ी भवन को लिया। यहां से शुरू हुआ पहाड़ी हाऊस कंसेप्ट।
दोनों ने जर्जर भवन के वास्तु में बगैर छेड़छाड़ किए उसमें पर्यटक के लिए आधारिक सुविधाएं जुटाई। 2014 से दोनों युवा इस कंसेप्ट को टूरिज्म के क्षेत्र में इंट्रोडयूज करने में जुटे। दो सालों में ही इसके अच्छे परिणाम सामने आ गए।
विदेशी पर्यटकों को पहाड़ी हाऊस खूब भा रहे हैं। देश के विभिन्न राज्यों का क्लास टूरिस्ट पहाड़ी हाऊस का दीदार करने पहुंच रहे है। यहां भवन ही पहाड़ी नहीं बल्कि पहाड़ी व्यंजन, लोक संस्कृति से पर्यटकों को रूबरू कराने के इंतजाम हैं।
दोनों युवाओं से प्रेरित होकर ग्रामीण भी इस कंसेप्ट को आगे बढ़ा रहे हैं। इन दिनों गुजरात से आए 40 पर्यटकों का दल पहाड़ी हाऊस में है। इसमें कुछ पर्यटक प्रवासी उत्तराखंडी भी हैं। सभी को उक्त कंसेप्ट इतना भाया कि वो भी अब खंडहर हो चुके अपने घरों की ओर लौटना चाहते हैं।
बहरहाल, यश भंडारी और अभय शर्मा के पहाड़ी हाऊस कंसेप्ट ने गांव छोड़ रहे युवाओं को दिशा देने का प्रयास किया है। इस कंसेप्ट को आउट लुक ट्रेवलर्स ने भी तवज्जो दी है। लगातार दो सालों पहाड़ी हाऊस कंसेप्ट को रिस्पोंसिब्ल टूरिज्म अवाउर् के लिए नोमिनेट किया गया।
पलायन को दंश झेल रहे उत्तराखंड के गांवों को पहाड़ी हाऊस कंसेप्ट से सरसब्ज करने की राह दिखाने वाले दोनों युवाओं को सलाम।