पौड़ी। पहले शिक्षक और अब हेडमास्टर/प्रभारी प्रिंसिपल के प्रमोशन मजाक बनकर रह गए हैं। प्रमोशन से सुगम के ठीक-ठाक छात्र संख्या वाले स्कूल प्रिंसिपल विहीन हो गए।
शिक्षा विभाग में शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति/तबादला/और प्रमोशन के व्यवस्था में खासी खामियां हैं। नीति में व्यवहारिकता के अभाव में कभी प्रथम नियुक्ति लटक जाती है तो कभी तबादले। अब प्रमोशन भी अव्यवहारिकता की जद में आ गए।
ताजा मामला एलटी से प्रवक्ता पद पर विषय लाभ मिलने और हेडमास्टर/प्रभारी प्रिंसिपल का प्रिंसिपल पद पर मौलिक नियुक्ति का है। एलटी से शिक्षकों के प्रवक्ता बनने पर कई हाई स्कूलों में एलटी शिक्षक पद रिक्त हो गए।
कई इंटर कालेजों को प्रवक्ता तो मिला नहीं और एलटी शिक्षक भी प्रवक्ता बनकर दूसरे स्कूल में चले गए। ऐसे स्कूलों के छात्र परेशान हैं। विभाग रिक्त पदों पर कब तक व्यवस्था कर सकेगा कहना मुश्किल है।
अब ऐसा ही मामला हेडमास्टर/प्रभारी प्रिंसिपल का प्रिंसिपल पद पर मौलिक नियुक्ति का भी है। प्रमोशन के नाम पर प्रिंसिपल को मध्य सत्र/ तबादले का शून्य में इधर-उधर करने से सुगम के कई स्कूल प्रिंसिपल विहीन हो गए हैं।
अच्छी खासी छात्र संख्या वाले स्कूलों से तो विभाग ने प्रमोशन के नाम पर प्रिंसिपलों का हटा दिया। जबकि बेहद कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को प्रिंसिपल तैनात कर दिए।
यही नहीं सुगम के कई इंटर कालेजों में तो कई सालों से प्रिंसिपल नहीं है। उक्त इंटर कालेजों में छात्र संख्या भी पांच सौ से अधिक है। प्रिंसिपल ही नहीं अतिसुगम के इंटर कालेजों को एलटी प्रमोशन से भी प्रवक्ता नहीं मिल सकें।
इस तरह से कहा जा सकता है कि शिक्षा विभाग में शिक्षकों/प्रिंसिपलों के प्रमोशन में व्यवहारिता दूर-दूर तक नहीं दिख रही है। ये बात अलग है हर काम को ऑल इज वेल करार दिया जा रहा है।