देवप्रयाग। देवभूमि उत्तराखंड अतिसक्रिय रहने वाला आरएसएस चारधामो समेत 51 मंदिरों पर लागू किए जा रहे श्राइन एक्ट पर कहां खो गया। संघ को आखिर तीर्थ पुरोहितों और हकूकधारियों की आवाज क्यों नहीं सुनाई दे रही है।
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि तीर्थ पुरोहितों ने उत्तराखंड में संघ के विस्तार में बड़ी भूमिका निभाई। कभी देवप्रयाग संघ का बड़ा केंद्र होता था। तीर्थों से लेकर मठ मंदिरों तक में संघ के विचारों को पहुंचाने का काम भी किया।
संघ से जुड़ना तीर्थ पुरोहितों की बड़ी भूल साबित हो रही है। कारण संघ की मदद से सत्तारूढ़ भाजपा तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारियों की न केवल उपेक्षा कर रही है। बल्कि उनके पुरूखों की हजारों हजार साल की मेहनत को मिटटी करने का प्रयास कर रही है।
संघ के विचारों वाली भाजपा सरकार श्री बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, युमनोत्री समेत 51 मंदिरों पर देवस्थानम एक्ट थोप चुकी है। तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी इसके विरोध में सड़कों पर हैं। भाजपा के नेता तीर्थ पुरोहितों की खिल्ली उड़ा रहे हैं। सरकार आंदोलन को तोड़ने के लिए भ्रम फैला रही है।
सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वालों की पैरवी करने वाली सरकार मेहनत से उत्तराखंड को सरसब्ज करने वाले तीर्थ पुरोहितों के हक छीनने पर उतर आई है। ं हैरानगी की बात ये है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इस पर मौन साधे हुए है।
ऐसा लग रहा है कि उत्तराखंड में संघ कहीं है ही नहीं। संघ से जुड़े कुछ लोग तो तीर्थ पुरोहितों को ही नसीहत देने पर उतर आए है। इससे संघ को लेकर भी तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारियों में नाराजगी है। ये नाराजगी अब सार्वजनिक होने लगी है। ऐसे में जरूरी है कि संघ उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के मंदिरों और पहाड़ी तीर्थ पुरोहितों के साथ हो रहे अन्याय पर स्थित स्पष्ट करें।