श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के परीक्षार्थी जमीन पर
गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज देहरादून शहर का मामला
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। परीक्षा का पूरा शुल्क और बड़े-बड़े दावों के बाद श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परीक्षा केंद्रों पर छात्र/छात्राओं के लिए बैठने की प्रॉपर व्यवस्था नहीं कर पा रहा है।
जी हां, मामला गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, देहरादून शहर का है। कॉलेज में इन दिनों विश्वविद्यालय की परीक्षाएं चल रही हैं। इस परीक्षा केंद्र की व्यवस्थाओं के बारे में विश्वविद्यालय के पास जरूरी पूरी सूचनाएं भी होंगी। बावजूद विश्वविद्यालय ने यहां परीक्षार्थियों के बैठने की व्यवस्था नहीं की। परिणाम कॉलेज प्रशासन ने किसी तरह से दरी बिछाकर स्नातक के छात्रों की परीक्षा कराई।
कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एनपी नगवाल ने बताया कि कॉलेज के पास मात्र तीन छोटे-छोटे कक्षा कक्ष हैं जिनकी क्षमता मात्र 25 से 30 छात्रों की परीक्षा कराने की है। आज बीए बीएससी बीकॉम प्रथम सेमेस्टर के सभी छात्रों का व्यवसायिक पाठ्यक्रम की परीक्षा थी जिसमें 250 छात्र पंजीकृत हैं।
कॉलेज के पास मात्र डेढ़ सौ छात्रों के बैठने की व्यवस्था है इस संबंध में विश्वविद्यालय से बार-बार अनुरोध करने पर भी न तो परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव किया गया और न ही छात्रों के लिए कुर्सी मेज किराए पर लेने की अनुमति श्री देव सुमन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दी गई।
कॉलेज प्रशासन ने अपने स्तर से टेंट हाउस से मैट/ दरी की व्यवस्था की और किसी तरह से परीक्षा संपन्न कराई। छात्र/छात्राओं ने जमीन पर बैठकर परीक्षा देने के बाद अव्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए। छात्रों ने हो हल्ला करते हुए प्रिंसिपल को उच्च शिक्षा सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा।
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. विजय श्रीवास्तव का कहना है कि उन्हें इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव केआर भटट का कहना है कि कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया था कि वो मैनेज कर लेंगे। उन्होंने स्वयं प्रिंसिपल से बात की थी। यदि वो ऐसा नहीं कहते तो विश्वविद्यालय व्यवस्था कराता। यूटीयू से व्यवस्था करने का विकल्प था। मगर, कॉलेज ने मैनेज करने की बात कही थी।
प्रिंसिपल प्रो. एनपी नगवाल का कहना है कि उन्होंने इस बारे में करीब एक माह पूर्व विश्वविद्यालय को सूचित कर दिया था। परीक्षा से 24 घंटे पूर्व विश्वविद्यालय के अधिकारी का फोन आया। उन्होंने तब भी संसाधन और स्थान के अभाव की बात रखी थी। हां, ये जरूर कहा था कि वो परीक्षा करा देंगे। परीक्षा करा दी है। कॉलेज में जमीन पर बिठाकर ही परीक्षा कराई जा सकती थी और कोई विकल्प नहीं था।