देवप्रयाग। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्र उत्तराखंड में सैकड़ों वर्ष पूर्व तीर्थाटन की नींव रखने, धामों को सजाने, संवारने और इन्हें विश्व फलक पर स्थापित करने वाले तीर्थ पुरोहित राज्य के जनप्रतिनिधियों की बेरूखी से हैरान हैं।
राज्य के चारों धामों के तीर्थ पुरोहित एवं हक हकूकधारी इन दिनों खासी परेशानी में हैं। ये परेशानी भाजपा सरकार दे रही है। देवस्थानम बोर्ड का गठन कर सरकार ने इसकी शुरूआत की। इस पर तीर्थ पुरोहितों को बोलने तक का मौका नहीं दिया गया।
अब श्री बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान को धरातल पर उतारने की बात कर भाजपा की प्रदेश सरकार ने तीर्थ पुरोहितों का टेंशन बढ़ा दिया है। तीर्थ पुरोहितों को डर सता रहा है कि कहीं उन्हें आदिधाम श्री बदरीनाथ से बेदखल न कर दिया जाए।
गत दिनों देवप्रयाग में हुई श्री बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों की बैठक में इस प्रकार की आशंका व्यक्त की गई। सरकार के स्तर से लगातार दिए जा रहे झटकों से परेशान तीर्थ पुरोहित इस बात से भी हैरान हैं कि उनके मामले में भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए हैं।
भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि तो तीर्थ पुरोहितों से दूरी तक बना रहे हैं। इस तरह से राज्य में अजीबोगरीब लोकतंत्र देखने को मिल रहा है। कांग्रेस और यूकेडी से जुड़े नेता जरूर कभी कभार पक्ष अखबारी प्रतिक्रिया देते हैं।
बहरहाल, अब तीर्थ पुरोहितों ने अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है। इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।
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