श्रीनगर (गढ़वाल)। हो हल्ले, मीडिया हाइप और समाज के दिखावे ने पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर विषय को मजाक बना दिया है। परिणाम हालात दिनों-दिने बिगड़ रहे हैं। ऐसे में जरूरत है सैर सलीका जैसे धरातलीय प्रयासों की।
सैर सलीका यानि ट्रेवल मैनर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं आतिथ्य अध्ययन केंद्र की पहल है। केंद्र ने इसे पाठयक्रम से जोड़ा है। ऐसी पहल करने वाला गढ़वाल विश्वविद्यालय संभवतः देश का पहला विश्वविद्यालय है।
सैर सलीका के माध्यम से अध्ययन केंद्र ने छात्रों को सीधे स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण से जोड़ दिया। 70 नंबर की फील्ड स्टडी में छात्र को स्वच्छता/ पर्यावरण संरक्षण में धरातलीय काम करना होता है।
इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। फील्ड स्टडी में छात्रों ने प्रदेश ही देश के के विभिन्न स्थानों पर ये काम करके दिखाया है। इसमें राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, कुलधरा, जोधपुर प्रमुख रूप से शामिल हैं।
कोर्स के दौरान पर्यावरण संरक्षण को आत्मसात करने वाले छात्र इसे सीख कर जा रहे और और जीवन में उतार रहे हैं। अध्ययन केंद्र के ऐसे प्रयासों को और गति देने की जरूरत है। स्कूल स्तर पर इसे शुरू किया जा सकता है।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं आतिथ्य अध्ययन केंद्र के डा. सर्वेश उनियाल सैर सलीका के परिणामों से उत्साहित हैं। उनका कहना है कि व्यक्ति का जीवन एक यात्रा के रूप में होता है।
ऐसे में जरूरी है कि जीवन यात्रा को ही पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जाए। सैर सलीका के माध्यम से यही प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेवल मैनर में पर्यावरण संरक्षण समेत तमाम और बातों को भी शामिल किया गया है। सेल्फी विद सेफ्टी को भी इसका विषय बनाया गया है।
उन्होंने माना कि स्कूल स्तर पर भी इसे शुरू कर पर्यावरण संरक्षण को और माहौल बनाया जा सकता है।