कांग्रेस के बड़े नेताओं के रंग-ढंग का लाभ भाजपा को

कांग्रेस के बड़े नेताओं के रंग-ढंग का लाभ भाजपा को
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उत्तराखंड में हाल-ए-कांग्रेस

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। उत्तराखंड में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के रंग-ढंग और बयानों का लाभ सीधे-सीधे भाजपा को मिल रहा है। कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता क्या करें और क्या न करें की स्थिति मंे है।

उत्तराखंड में कहने को तो कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है। मगर, उसके कुछ बड़े नेताओं के काम करने के तौर तरीकों से पार्टी विपक्षी दल का रसूख प्राप्त नहीं कर पा रही है। कुछ दिन प्रभावी दिखने वाले पार्टी के कार्यक्रमों को उसके बड़े नेता अपने-अपने तरीकों से डिरेल कर रहे हैं।

कभी कोई बड़ा नेता ऐसा करता है तो कभी कोई। पार्टी के दिग्गज नेताओं के बयान कांग्रेस के लिए बैक फायर साबित हो रहे हैं। पार्टी के मंच के बजाए मीडिया में बयानों का लाभ सीधे-सीधे भाजपा को मिल रहा है। कांग्रेस के भीतर चल रहे इस खेल से भाजपा की सरकार और संगठन हर दृष्टि से कंफर्ट है।

देहरादून से लेकर जिला मुख्यालय और गांव-कस्बों में पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले कांग्रेसियों के प्रयासों को इससे धक्का लग रहा है। कांग्रेस की सेकंड लाइन लीडर के प्रयास सफल नहीं हो पा रहे हैं। बड़े नेताओं के मीडिया में आ रहे गैरजरूरी बयान से कहीं न कहीं गुटबाजी को भी हवा मिल रही है।

परिणाम पार्टी के आम कार्यकर्ता क्या करें और क्या न करें की स्थिति में हैं। इससे पार्टी के जमीनी स्तर पर कहीं न कहीं नकारात्मकता आ रही है। ऐसा देखा भी जा सकता है। आम लोगों और राज्य की बेहतरी के लिए कांग्रेस के सड़क से लेकर सदन में तक किए गए संघर्ष जनता के मन में स्थायी स्थान नहीं बना पा रहे हैं। कारण उससे पहले बड़े नेताओं के गैरजरूरी बयान सामने आ जाते हैं।

बड़े नेताओं के बयान जनता तक दूसरे तरीकों के साथ ही अलगे तरह के विश्लेषण के साथ पहुंचते हैं। हर बयानों को फुर्र घिंडूड़ी होने का सूचक तक बताया जाता है। हाल में आए कुछ बयानों और मेल मुलाकात तो इसी तरह के इशारे कर रही है।

 

Tirth Chetna

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