देहरादून। बगैर ठोस तथ्यों, तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों की सुने राज्य के चार धामों समेत 51 मंदिरों की व्यवस्था के लिए श्राइन बोर्ड गठन का निर्णय सरकार के लिए बैक फायर साबित हो रहा है।
राज्य की आधारिक जरूरतों पर काम करने के बजाए प्रचंड बहुमत का उपयोग भाजपा की राज्य सरकार स्थापित व्यवस्थाओं के साथ छेड़छाड़ के लिए कर रही है। श्राइन बोर्ड इसका प्रमाण है। इसका राज्य भर में विरोध शुरू हो गया है।
नाराज तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी सरकार के इस निर्णय के विरोध में उतर आए हैं। तीर्थों से होता हुआ ये विरोध अस्थायी राजधानी देहरादून तक पहुंच गया है। सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार के इस निर्णय की जानकारी पूरी देश को हो चुकी है।
राजनीतिक दल सरकार के इस निर्णय को दूसरे कोण से भी देखने लगे हैं। यानि त्रिवेंद्र सरकार का ये निर्णय देश भर में भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। श्राइन बोर्ड गठन का मामला सरकार पर बैठक फायर करने लगा है। सरकार के खिलाफ इस बहाने माहौल बनने लगा है।
तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल का कहना है कि सरकार इस मामले को लेकर न जाने क्यों जल्दबाजी में है। सरकार ने इस पर होमवर्क तक नहीं किया। इस मामले में हुई बातचीत में भी सरकार का रवैया हैरान करने वाला ही रहा है।
ऐसे में तीर्थ पुरोहित और हक हकूधारियों के पास विरोध का ही विकल्प बचता है।