उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों के नाना प्रकार
मॉडल स्कूल से पीएमश्री तक का सफर
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा में नाना प्रकार के नामों की माला लंबी होती जा रही है। स्कूल के साथ कुछ जोड़ते समय खास पढ़ाई के दावे भी खूब होते रहे हैं।
देश भर में सरकारी स्कूल प्रयोगशाला बनकर रह गए हैं। प्रयोग पर प्रयोग और निष्कर्षों का अता पता न होने से लोगों का सरकारी स्कूलों के प्रति मोहभंग हो रहा है। तमाम सहुलियतों और बेहद योग्य शिक्षकों के बावजूद सरकारी स्कूल समाज की प्राथमिकता में नहीं हैं।
बहरहाल, उत्तराखंड में तो स्कूलों के नाना नाम की माला लंबी होने लगी है। पहले मॉडल स्कूलों का हो हल्ला मचा। इनको बाजारी स्कूलों के मुकाबले करने के लिए तैयार करने का दावा किया गया। इन स्कूलों में विभागीय परीक्षा के माध्यम से शिक्षकों की तैनाती हुई।
शहरी क्षेत्रों के मॉडल स्कूल तो तब सरसब्ज दिखे। मगर, मॉडल स्कूल कंसेप्ट आगे नहीं बढ़ सका। इसके बाद अटल उत्कृष्ट स्कूल के नाम से हो हल्ला मचा। इसमें सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर अभिचिन्हित स्कूलों को सीबीएसीई बोर्ड को सौंप दिया। इस तरह से सरकारी स्कूलों में असमानता और गाढ़ी हो गई।
अब राज्य सरकार 679 कलस्टर उत्कृष्ट विद्यालय बनाने की बात कर रही है। इस तरह से मॉडल स्कूल, अटल उत्कृष्ट और कलस्टर उत्कृष्ट स्कूलों के बाद राज्य के करीब डेढ़ सौ स्कूल केंद्र पोषित योजना के तहत पीमश्री स्कूल के रूप में भी संचालित होंगे।
राज्य में सरकारी स्कूलों के नामों का मॉडल स्कूल से शुरू हुआ सफर पीएम श्री स्कूल तक पहुंच गया। ये बात अलग है कि मॉडल स्कूलों की उपलब्धि और उनके मौजूदा हालातों पर पब्लिक डोमेन में खास बातें नहीं हैं। हां, छात्र संख्या का कम होना लगातार जारी है।