स्कूली शिक्षा में शिक्षकों के पहले प्रमोशन फिर ट्रांसफर हों तो बनें बात
देहरादून। राज्य की स्कूली शिक्षा में शिक्षकों के प्रमोशन पर लगे ब्रेक का असर कहीं न कहीं ट्रांसफर पर भी दिख रहा है और दिखेगा। अच्छी व्यवस्था के लिए पहले प्रमोशन और फिर ट्रांसफर होने चाहिए।
प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने वर्षों दुर्गम में सेवा कर रहे शिक्षकों के प्रति हमदर्दी दिखाई। कहा कि उन्हें तबादले के प्राथमिकता मिलेगी। अभी तक सभी शिक्षा मंत्री ऐसा कहते रहे हैं। बावजूद समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
हां,जिला स्तर पर तबादले की व्यवस्था बनाने की बात नई है। प्राथमिक शिक्षा में ये व्यवस्था लागू है। एलटी/प्रवक्ता के लिए जिले में कैसे व्यवस्था बनेगी ये देखने वाली बात होगी। यदि ऐसा हो सका तो ये अच्छा प्रयोग होगा।
ये सब बातें धरातल पर तभी उतरेंगी जब शिक्षकों के प्रमोशन और तबादले में साम्य स्थापित होगा। यानि समय से शिक्षकों को प्रमोशन मिलेंगे तो तबादला भी स्मूथली हो सकेंगे। मगर, शिक्षकां के प्रमोशन पर एक तरह से अघोषित ब्रेक लगा है।
20-30 वर्षों से शिक्षक एक ही पद पर हैं। इसका व्यापक प्रतिकूल असर शिक्षा पर दिख रहा है। इस इफेक्ट को सोसाइटी में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती के नाम से प्रचारित/प्रसारित किया जाता है। अब तो इस तरह का माइंड सेट भी बन चुका है।
बहरहाल, लाख टके की बात ये है कि शिक्षा विभाग के वार्षिक शिडयूल में पहले शिक्षक का प्रमोशन और इसके बाद ट्रांसफर का नंबर आना चाहिए। ऐसा हुआ तो काफी कुछ व्यवस्थाएं सुधर सकती हैं। बातचीत में आम शिक्षक भी इस पर सहमति व्यक्त करते हैं।