विश्व स्तर पर बढ़ता हमारी हिंदी का रसूख

विश्व स्तर पर बढ़ता हमारी हिंदी का रसूख
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विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी पर विशेष

डा. रेखा सिंह।

हिंदी भाषा विश्व स्तर पर धाक जमा रही है। ज्ञान, विज्ञान, शिक्षण से लेकर बाजार तक में हिंदी तेजी से जरूरत बन रही है। देश के लिए ये गर्व की बात है।

आज विश्व हिंदी दिवस है। विश्व स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के उददेश्य से 2006 में शुरू हुआ ये क्रम 17 वें साल में प्रवेश कर गया है। हालांकि इसकी शुरूआत 1975 में नागपुर विश्व हिंदी सम्मेलन से हो गई थी। बहरहाल, इन सालों में हिंदी बेचारगी के खोल से बाहर निकलकर विश्व फलक पर स्थान बना चुकी है।

साहित्य समाज का दर्पण होता है“, और साहित्य की पहली सीढ़ी एवम् व्यक्त करने के लिए ’ भाषा’ का होना जरूरी है। हमारे देश में कई भाषाओं के मध्य 22 भाषाओं को आधिकारिक तौर पर दर्जा मिला हुआ है, जिनमें हिंदी देश की लोकप्रिय, सरल और सुबोध भाषा है। 14 सितंबर1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया।

सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता से भरे हमारे देश में हिंदी ने एक सूत्र में पिरोने का सबसे ज्यादा कार्य किया है। आज हिंदी भाषा हमारे देश, में ही नहीं विश्व स्तर पर उतरोत्तर विकास कर रही है। यही वजह थी कि बहुत पहले ही हमारे साहित्यकारों ने हिंदी भाषा के विकास की गाथा लिख दी थी—

प्रसिद्ध कवि और बहुमुखी प्रतिभा के धनी भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेई की कविता के अंश

“ गूंजी हिंदी विश्व में,
स्वप्न हुआ साकार;
राष्ट्र संघ के मंच से,
हिंदी का जयकार;।“

हमारी राष्ट्रभाषा, राजभाषा, मातृभाषा, ’ हिंदी’ न भारत में बल्कि विश्वभर में अपना वर्चस्व बनाए रखें है। विश्वभर में ’ भाषाओं का इतिहास’ रखने वाली संस्था ’एथ्नोलॉग’ के अनुसार चीनी भाषा (मंदारिन), और अंग्रेजी भाषा के बाद दुनियाभर में सर्वाधिक बोली जाने वाली ’ हिंदी’ तीसरी लोकप्रिय भाषा है।

10 जनवरी 2006 से निरंतर विश्व हिंदी दिवस’ मनाया जा रहा है । हलांकि  10 जनवरी 1975 को नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन से इसकी शुरूआत हो चुकी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने नागपुर में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया । इसमें कई देशों ने प्रतिभाग किया। इस तिथि से ही भारत विश्व हिंदी की ओर द्रुतगति से अग्रसर है।

भारत के लिए गौरव व हर्ष का विषय भी है कि न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी भाषा के प्रचार- प्रसार के लिए हिन्दी भाषी निरंतर प्रयासरत हैं। इस हुजूम में देश – दुनिया की कई संस्थाएं, पत्र- पत्रिकाएं, समाचार – चैनल, सोशल मीडिया आदि सभी जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं, यह सफल भी हो रहा है। हम आज जिस हिंदी को देख रहें हैं वह शिष्ट हिंदी हैं, जिसे हिंदी भाषी संपूर्ण विश्व सर – आंखों पर रखकर प्रगति कर रहा है।

लचीली के साथ मधुरता समेटती हुई हिंदी , आज 90 फीसदी रोजगार का साधन बनी हुई है। विश्व के प्रमुख देशों पर चर्चा करें तो मलेशिया, सिंगापुर, नेपाल, भूटान, थाइलैंड, हांगकांग, फिजी, मॉरीशस , त्रिनिडाड, गयाना, सूरीनाम, इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान, रूस आदि कई देशों में शामिल हिंदी प्रचूर मात्रा में है, और इस भाषा में शिक्षा ग्रहण की जा रही है, जब शिक्षा ली जाएगी तो संभवतः उद्देश्य रोजगार अवश्य होगा।

विश्व की 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी विषय में अध्ययन- अध्यापन हो रहा है। अकेले अमेरिका के 30 से भी अधिक विश्वविद्यालयों के भाषाई पाठ्यक्रमों में हिंदी को महत्वपूर्ण दर्जा मिला है। रूस के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी साहित्य पर लगातार शोध हो रहा है। हिंदी साहित्य का जितना अनुवाद रूस में हुआ है, उतना शायद ही विश्व की अन्य भाषाओं के ग्रंथों का हुआ हो ।

अकेले देशों की बात करें तो मॉरीशस, फिजी, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल आदि देशों में हिंदी भाषी अत्यधिक हैं जिससे यहां स्वतः ही भाषा का तेजी से विकास हो रहा है। अमेरिका, सिंगापुर, जापान आदि जगहों पर प्रवासी भारतीय, युद्ध स्तर पर हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में एक स्वयं सेवी की तरह कार्य कर रहे हैं, श्री अनूप भार्गव, डा सरण घई, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में श्री बालेंदु शर्मा दाधीच आदि, और भी कई स्वयं सेवी,कई विद्वान देश दुनिया को एक सूत्र में पिरोने में कटिबद्ध है, तमाम तरह की साहित्यिक पत्रिकाएं भी हिंदी भाषा को एक पटल पर लाने का कार्य कर रही है।

सर्च इंजन गूगल का मानना है कि हिंदी में इंटरनेट पर सामग्री पढ़ने वाले प्रतिवर्ष 94 फ़ीसदी बढ़े हैं, जबकि अंग्रेजी में यह दर हर साल 17 फ़ीसदी घट रही है। गूगल के अनुसार ही 2021 तक इंटरनेट पर 20.1 करोड़ लोग हिंदी का उपयोग कर रहे हैं। 93 फ़ीसदी लोग यूट्यूब पर हिंदी में अपने कार्यक्रमों को अपलोड करते हैं और सर्च करते हैं।

अमेरिका में हिंदी 100 फ़ीसदी से अधिक तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। विश्वभर में बढ़ती स्वीकार्यता को मद्देनजर रखते हुए “ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी“ में हिंदी भाषा के कई शब्दों को सम्मिलित किया गया। तकनीकी रूप से हिंदी को और भी “समृद्ध“ और ’ आसान’ बनाने के लिए लगातार कार्य किया जा रहा है; व्यापारिक गतिविधियों में जैसे अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील आदि दिग्गज ’ ई-कॉमर्स’ कंपनियां हिंदी भाषी ग्राहकों तक अपनी ज्यादा से ज्यादा पहुंच बनाने के लिए हिंदी ’ ऐप’ में कार्य कर रही हैं। यही नहीं हिंदी को, ’ विश्व आर्थिक मंच’ की गणना में विश्व की 10 शक्तिशाली भाषाओं में से एक माना गया है।

हिंदी भाषा की उन्नति के लिए भारतेंदु हरिश्चंद्र की ये पंक्तियां निश्चित ही स्मरण हो आती है -“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।“

लेखिका उच्च शिक्षा में हिंदी की प्राध्यापिका हैं।

Tirth Chetna

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