निकाय चुनाव समय पर होंगे, नहीं होंगे के बीच फंसे छोटे-बड़े नेता
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। राज्य में निकाय चुनाव समय से होंगे या नहीं होंगे के सवाल से चुनाव लड़ने के इच्छुक तमाम छोटे बड़े नेता परेशान हैं। जनसंपर्क, वोट पटाने और अतिव्यवहारिक बनना नेताओं का महंगा पड़ रहा है।
देश में लांेकसभा और विधानसभा के चुनाव समय पर ही होते हैं। हां, कुछ विशेष परिस्थितियों में समय से पहले भी होते हैं। मगर, छोटी सरकारों यानि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव के साथ ऐसा नहीं होता। विभिन्न वजहों से चुनाव पीछे होना आम बात है।
उत्तराखंड राज्य में निकाय चुनाव अक्तूबर/नवंबर में होने चाहिए। मगर, अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि चुनाव समय पर होंगे या नहीं। निगम का मेयर, पालिका का अध्यक्ष और पार्षद/सभासद बनने के लिए चुना लड़ने के इच्छुक छोटे बड़े नेता चुनाव समय पर होंगे/ नहीं होंगे में उलझे हुए हैं।
उनके ये उलझने उन्हें भारी भी पड़ रही है। दरअसल, जनसंपर्क, वोट पटाने और अतिव्यवहारिक बनना नेताओं का महंगा पड़ रहा है। सभासद/पार्षद बनने के इच्छुक नेताओं को लोग इन दिनों छोटे-बड़े सभी काम थमा रहे हैं। उक्त नेताओं की इन दिनों सेवा में श्रीमान लिखने की प्रैक्टिस भी खूब हो रही है।
इस प्रैक्टिस में सत्ताधारी भाजपा के कार्यकर्ता भी शामिल हैं। उन्हें भी चुनाव समय पर होंगे या नहीं को लेकर खास जानकारी नहीं है। इसको लेकर सुनी सुनाई बातें ही लोगों के बीच में है। हां ये जरूर सामने आ रहा है कि निकाय चुनाव की तैयारियों उस हिसाब से कतई नहीं हैं कि समय से चुनाव हो जाएं।