शिक्षकों के प्रमोशन के समय कहां खो जाती है शिथिलता
देहरादून। शिक्षकों के प्रमोशन के समय सरकार की शिथिलता की नीति का न जाने कहां लोप हो जाता है। परिणाम शिक्षक एक ही पद पर बुढ़ा जाते हैं। अब तो सरकार बुढ़ापे के पद (इंटर कालेज के प्रिंसिपल) को भी सीधी भर्ती से भरने की जिद कर चुकी है।
राज्य में सरकारी शिक्षकों के साथ 22 सालों से राजनीतिक मजाक हो रहा है। शिक्षक भी हर राजनीतिक मजाक को न केवल पचा रहे हैं बल्कि अब स्वयं भी अपने साथ मजाक करने लगे हैं। ताजा मामला इंटर कालेज के प्रिंसिपल के 50 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती का है।
सरकार जिद पकड़ चुकी है कि ऐसा करेगी। इसके लिए नियमावली बन चुकी है। नियमावली बनने के बाद शिक्षक और प्रधानाचार्य संगठन को वार्ता के लिए बुलाया गया। सभी वार्ता के लिए पहुंचे भी गए। तर्क वही रखे गए जिन्हें नियमावली बनाने से पहले सरकार तक पहुंचाए गया था और सरकार ने इस पर गौर नहीं किया।
अब सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार को प्रिंसिपल पद पर विभागीय भर्ती की क्यों और क्या सूझी। प्रिंसिपल पद पर जल्द से जल्द तैनाती के लिए प्रमोशन में शिथिलता का रास्ता अपनाया जा सकता है। जितनी एक्सरसाइज सीधी भर्ती के लिए हो रही उससे कई कम एक्सरसाइज में ऐसा संभव है।
वैसे भी राज्य में शिक्षकों के अलावा प्रमोशन में शिथिलता खूब दी जा रही है। शिक्षकां के प्रमोशन के लिए सरकार की शिथिलता का न जाने कहां लोप हो जाता है। गत वर्ष मुख्य सचिव ने कई बार विभागीय सचिवों को कार्मिकों को प्रमोशन में शिथिलता का लाभ देने के लिए पत्र लिखे। ऐसा पत्र शिक्षा विभाग तक भी जरूर पहुंचा होगा।